चिलचिलाती गर्मी में दोपहर के 3 बजे रंगीन टेरी कॉटन साड़ियों में महिलाओं का एक समूह इकट्ठा हुआ है। हर्राजपुर गांव के पंचायत घर के पास पुरुषों का एक समूह जल संरक्षण के प्रति जागरूकता को लेकर नुक्कड़ नाटक करने जा रहा है। सभी महिलाओं को नुक्कड़ नाटक देखने के लिए बुलाया गया है। गौरतलब है कि नुक्कड़ नाटक समूह में एक भी महिला नहीं है।
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के इस गांव की पक्की सड़क खोदकर पानी के पाइप डाल दिए गए हैं। सभी के घरों के बाहर बिना टोंटी का पानी का पाइप भी लग चुका है। लेकिन पाइप से आज तक कभी पानी नहीं आया क्योंकि इस गांव में जल जीवन मिशन के कार्यवाहक शायद पानी की टंकी बनाना भूल गए हैं। गांव वालों में चर्चा है कि पानी की टंकी जल्द बनेगी। लेकिन फिलहाल कोई पानी की टंकी नहीं है।
नुक्कड़ नाटक खत्म होते ही सब अपने घरों की तरफ चल देते हैं। समूह की महिलाओं में से एक महिला, ममता कहती हैं, “ये जबरदस्ती की पानी की टंकी है। हमें पानी कनेक्शन की जरूरत ही नहीं थी। हमारे इलाके में 25 फीट पर पानी मिल जाता है सबके घरों में उनके हैंडपंप हैं हम इस टोंटी का क्या करेंगे?”
गांव वालो का आरोप है कि वर्ष 2011-12 भी गांव की सड़क खोदकर पानी के पाइप डाले गए थे लेकिन पानी कुछ महीनों भी नहीं आया। बुरी गुणवत्ता और भ्रष्टाचार की वजह से पानी की पूरी लाइन लीक थी जिसे बाद में बंद कर दिया गया।
राष्ट्रव्यापी मिशन
15 अगस्त, 2019 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के एक हिस्से के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर जल जीवन मिशन की शुरुआत की। तब से इस मिशन की समय सीमा कई बार बदल चुकी है, 2022 से 2023 और अब नवंबर 2024। 2023-24 के बजट में मिशन के लिए 70,000 करोड़ की भारी भरकम रकम रखी गई थी।
"ग्रामीण घरों में नल के पानी की आपूर्ति की स्थिति” 30 मार्च 2024 तक जल जीवन मिशन की वेबसाइट के अनुसार सरकार ने देश के 19.30 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 14.60 करोड़ घरों, लगभग 75.67 प्रतिशत को कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) प्रदान किए थे। उत्तर प्रदेश में 2.14 करोड़ ग्रामीण परिवारों को कवर किया है, जो कि 2.65 करोड़ परिवारों का 80.96 प्रतिशत है। 15 अगस्त 2019 के बाद यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जब मिशन लॉन्च किया गया था तब उत्तर प्रदेश में केवल पांच लाख ग्रामीण घरों में नल के पानी का कनेक्शन था।
लेकिन ये आंकड़े अक्सर पूरी कहानी नहीं बताते. "हर घर नल से जल" का लक्ष्य सरल लगता है, लेकिन इसका कार्यान्वयन बहुत कठिन रहा है। हालांकि, जहां तक उत्तर प्रदेश में मिशन का सवाल है, उत्तर प्रदेश एक रोल मॉडल बनने की आकांक्षा रखता है, लेकिन इसमें अभी बहुत कुछ करना बाकी है। एकतरफा जहां महोबा जैसी जगहों पर 99.19 प्रतिशत घरों तक नल का पानी पहुंच गया है, वहीं उन्नाव में यह केवल 24.64 प्रतिशत घरों तक पहुंच पाया है।
औरैया जिले में, सरकार 89.62 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक पहुंचने का दावा करती है। 15 अगस्त, 2019 तक, जिले के 2,17,797 ग्रामीण घरों में से केवल 2,097 के पास नल के पानी के कनेक्शन थे, लेकिन 30 मार्च, 2024 तक यह संख्या बढ़कर 1,94,615 हो गई थी।
दावा बनाम हकीकत
जिन गांवों को आधिकारिक तौर पर कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) की 100% कवरेज के रूप में प्रमाणित किया गया है, उनमें से कई घरों में वास्तव में नल नहीं हैं। कुछ में नल तो हैं, लेकिन उनमें पानी नहीं आ रहा है; सबसे अच्छी स्थिति में, घरों को सुबह- शाम मिलाकर एक घंटे से अधिक पानी नहीं मिलता है।
औरैया जिले के सेहुद गांव को 100% कवरेज वाला प्रमाणित गांव घोषित किया गया है। इस गांव में 15 अगस्त 2019 से पहले एक पानी की टंकी थी जिससे आसपास के 18 गावों को कथित तौर पर पानी पूर्ति की जाती थी। जल जीवन मिशन के बाद इस पहले से स्थापित पानी की टंकी और पाइपों के तंत्र में मामूली बदलाव करके इसे मिशन की उपलब्धता में जोड़ दिया गया। इस मामूली बदलाव में सरकार के 77.47 लाख रुपए खर्च हो गए।
सेहुद गांव के निवासी ने शैलेंद्र ने बताया कि इस टंकी से 18 गांवो में पानी की पूर्ति की जाती है लेकिन वास्तव में केवल उनके गांव को छोड़कर कहीं भी पानी नहीं जाता, गांव वाले कई बार शिकायत लेकर आते हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। यहां तक की मेरे गांव में ही सुबह शाम मिलाकर 1 घंटे से ज्यादा पानी नहीं आता।
हालांकि, जल जीवन मिशन की वेबसाइट के अनुसार सेहुद और उससे संबंधित 17 गांवों में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 70 लीटर पानी की पूर्ति होती है।
योजना की परिभाषाओं के अनुसार, एक एफएचटीसी परिवार वह है जहां हर घर में प्रति व्यक्ति प्रति दिन कम से कम 55 लीटर पीने योग्य पानी उपलब्ध कराया जाता है। जल जीवन मिशन के आधिकारिक डैशबोर्ड की रिपोर्ट है कि जिले के 169 गांवों में "100% घरेलू नल कनेक्शन" है। ये दावा महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये सभी घर उत्तर प्रदेश के 2.14 करोड़ घरों के आधिकारिक दावे में शामिल हैं, जिनके पास कार्यात्मक नल कनेक्शन हैं। यह संख्या 2019 में 5.1 लाख घरों से कहीं अधिक है। इससे यह आभास होता है कि इन सभी के पास नल के पानी तक पहुंच है। उत्तर प्रदेश में पिछले दो वर्षों में ऐसे नल कनेक्शनों में नाटकीय वृद्धि दर्ज की गई है।
हालांकि संख्या में इस तीव्र वृद्धि से यह धारणा बन सकती है कि इन सभी घरों में नल के पानी की निर्बाध पहुंच है, हैंडपंप पर महिलाएं एक अलग कहानी बताती हैं। कई गांवों में, जिन घरों को मिशन ने "कनेक्टेड" के रूप में प्रमाणित किया है, उनमें नलों में पानी नहीं आता है। यहां तक कि आधिकारिक तौर पर एफएचटीसी के 100 प्रतिशत कवरेज के रूप में प्रमाणित गांवों में भी, घरों में नल नहीं हैं या नल हैं लेकिन पानी नहीं है। मेरखपुर गांव की रेनू देवी का नाम जल जीवन मिशन की वेबसाइट पर लाभार्थियों में है। असलियत में न तो रेनू देवी के घर नल का कनेक्शन न ही रेनू देवी को इसकी कोई जानकारी है।
हम अभी भी भूजल पर निर्भर हैं।
औरैया जिले में सात ब्लॉक हैं: भाग्यनगर, सहार, बिधूना, ऐरवा कटरा, अछल्दा, अजीतमल और औरैया। भाग्यनगर में 119 गाँव हैं जिनमें 34,777 घर हैं, जिनमें से 28,306 को नल कनेक्शन के रूप में चिह्नित किया गया है। लेकिन मात्र 14 गावों में ही प्रमाणित रूप से हर घर जल का दावा है। सरकारी वेबसाइट पर पर डाटा को इस तरह से प्रदर्शित किया गया है जिससे वास्तविक लाभार्थियों को गिनने में कठिनाई होती है। एक तरफ जहां वेबसाइट भाग्यनगर ब्लॉक में 81.39 प्रतिशत घरों कर नल कनेक्शन का दावा करती है तो वहीं दूसरी तरफ ब्लॉक के 119 गावों में से केवल 14 गावों नल से पानी पहुंचाने का दावा।
अधिक तहकीकात करने पर पता चला कि जिन गांवों के लिए सिर्फ एक्शन प्लान बना दिया गया है या फिर गांव में पानी समिति का गठन हो गया है उन्हें भी इस डाटा में शामिल कर लिया गया है।
मेरखपुर गांव के लोगों की शिकायत है कि केवल आधे घरों में ही नल हैं जो कि वे सालों से पानी की राह देख रहे हैं, उनके गांव की पाइप लाइन को मेन लाइन से जोड़ा ही नहीं गया। हालंकि जन जीवन मिशन की वेबसाइट पर इस गांव के 48 प्रतिशत घरों में नल कनेक्शन का दावा कर दिया गया। गांव के निवासी गिरीश कहते कहते हैं, “बिना सबमर्सिबल पंप के पानी खींचना बहुत दुखभरा है। हम सबमर्सिबल नहीं लगवा सकते, इसे केवल अमीर ही वहन कर सकते हैं।” यह गांव अभी भी घरेलू पीने के लिए हैंडपंपों के भूजल पर निर्भर है।
सभी के लिए सुरक्षित जल?
जल जीवन मिशन हर घर जल पहुंचाने के साथ ही साफ बीमारियों रहित घरों तक पहुंचाने की बात करता है। इसके लिए सभी गांवों के पानी की जांच की जाती है। अगर जरूरत होती है तो पानी साफ करके सप्लाई किया जाता है। इन जांच मानकों में मुख्यता PH, गंदगी, TDS और ई कोलोई की मात्रा जांची जाती है। जलजनित बीमारियाँ ग्रामीण भारत में विशेषकर महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव डालती हैं। सुरक्षित पेयजल परिवारों के लिए स्वास्थ्य देखभाल में होने वाले खर्च को कम कर सकता है। करंट माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित 2023 के एक अध्ययन के अनुसार, डायरिया, टाइफाइड, हैजा, हेपेटाइटिस और शिगेलोसिस भारत में सबसे आम जलजनित रोग हैं। अनुमान है कि इन बीमारियों के कारण 2014 और 2018 के बीच लगभग 11,728 मौतें हुईं। डायरिया भारत में सबसे आम जलजनित बीमारी है, जो हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट (पीआईबी दिल्ली द्वारा 09 जून 2023) के अनुसार, भारत में 'हर घर जल' कार्यक्रम से साफ पेयजल की व्यवस्था करने से लगभग 4,00,000 मौतों को रोका जा सकता है। इससे 101 बिलियन डॉलर तक की अनुमानित लागत बचत के साथ आर्थिक लाभ भी अपेक्षित है। साफ पेय जल संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में भारत की प्रगति का भी हिस्सा है, जो 2015 में घोषित वैश्विक लक्ष्यों में से शामिल है।
इस सब दावों और भारी भरकम वादों के बावजूद अभी तक पूरे जिले में सभी गांवों के पानी की जांच नहीं हो पाई है। स्थानियों का दावा है कि कोई भी गांव में पानी के नमूने एकत्र करने नहीं आया। हालंकि जल जीवन मिशन की वेबसाइट पर पानी की जांच की रिपोर्ट को जारी कर दिया गया है। जिसमें से दो अलग अलग रिपोर्टों के स्थान पर केवल एक रिपोर्ट प्रकाशित किया गया है। भारत में इस तरह की पानी की जांच वाली 2124 प्रयोगशालाएं हैं इनमें अब तक 73 लाख नमूनों की जांच की जा चुकी है जिसमें से 7 लाख नमूनों को प्रदूषित पाया गया है। सरकार से इन इन नमूनों के लिए क्या कदम उठाए हैं इसकी जानकारी प्राप्त डाटा से उपलब्ध नहीं है।
आखिर इतनी देर क्यों?
अधिकारियों ने बताया कि 2024 तक हर घर जल हासिल नहीं होने की संभावना में कई कारकों ने योगदान दिया है। महामारी उनमें से एक थी। दूसरा रूस-यूक्रेन युद्ध है जिसके परिणामस्वरूप "स्टील और सीमेंट की बड़ी कमी हुई, जो पाइपों के निर्माण और कनेक्शन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।"
जहां एक ओर बड़ी-बड़ी परियोजनाओं की घोषणा की जा रही है, वहीं दूसरी ओर बुनियादी सवाल काफी हद तक अनसुलझे हैं। विकास प्रक्रिया बाधित और जटिल होने से जनता का आक्रोश कटु विरोध में बदल जाता है। विकास और परिवर्तन सतत चलने वाली प्रक्रियाएँ हैं लेकिन समय की एक सीमा होनी चाहिए। विकास योजनाओं का मसौदा तैयार करते समय और किन चीजों को अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए, यह तय करने में गंभीर मंथन की आवश्यकता होती है। विकास नीति में बढ़ती बेरोजगारी, अपराध दर और प्रवासन में वृद्धि जैसी चुनौतियों से लड़ने की इच्छा होनी चाहिए और सरकार की ओर से इस पर व्यावहारिक कार्यवाही होनी चाहिए। बेशक, जनता का सहयोग महत्वपूर्ण है और इसके लिए, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि डबल इंजन ट्रेन खींचते समय वे किसी को कुचल न दें।
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